गुरु की ऊर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार,
गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार।
गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में है उपहार,
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।
सर्वप्रथम उस महान व्यक्तित्व को सादर नमन जिनका जन्म दिवस हम सभी शिक्षक दिवस के रूप में मना रहे हैं।
साथ ही इस अवसर पर मैं आप सभी आदर्श शिक्षकों को हृदय से प्रणाम करती हूँ ।
आप सभी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ।
🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.